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स्वच्छता जन आंदोलन की गूंज, लेकिन सड़कों पर गंदगी का अंबार


टीकमगढ़ में सिर्फ पोस्टर और बैनर से दिख रही सफाई, हकीकत कुछ और
टीकमगढ़। एक तरफ पूरे शहर में स्वच्छता जन आंदोलन की गूंज है — दीवारों पर पोस्टर लगे हैं, चौराहों पर बैनर चमक रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल उलट नजर आ रही है। नगर पालिका के तमाम दावों के बावजूद गलियों में गंदगी का अंबार लगा हुआ है, नालियां जाम हैं और सड़कों पर मक्खियों का झुंड मंडरा रहा है। बदबू और गंदगी से लोग परेशान हैं, लेकिन जिम्मेदार खामोश हैं।

दरअसल, हाल ही में नगर पालिका टीकमगढ़ के सीएमओ ओमपाल सिंह भदौरिया को स्वच्छता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया था। परंतु शहर की तस्वीर उस सम्मान से मेल नहीं खा रही। जहां एक ओर सेवा पखवाड़े के तहत सफाई अभियान के नाम पर प्रचार हो रहा है, वहीं दूसरी ओर गंदगी के ढेर और बदबू से लोगों का जीना मुश्किल है।

शहर के कई क्षेत्रों में नालियां तो बना दी गईं, लेकिन उनकी ऊंचाई इतनी अधिक है कि पानी निकलने का रास्ता ही बंद हो गया है। अब नालियों का वही पानी आसपास के खाली प्लॉटों में भरकर बदबू और बीमारियों का कारण बन रहा है।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि उन्होंने कई बार नगर पालिका को शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। “नाली का पानी निकलता नहीं है, बदबू इतनी आती है कि खिड़कियां भी बंद रखनी पड़ती हैं,” एक निवासी ने कहा।

जब इस पूरे मामले पर नगर पालिका सीएमओ से बात करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने पत्रकारों से मिलने से साफ इनकार कर दिया। न जवाब मिला, न सफाई — बस चुप्पी।

अब सवाल यह उठता है कि क्या स्वच्छता जन आंदोलन सिर्फ फोटो खिंचवाने और पोस्टर लगाने तक सीमित रह गया है, या फिर वास्तव में शहर को साफ करने की कोई ठोस योजना है?

टीकमगढ़ के लोग अब वादों से नहीं, कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं। क्योंकि यह सिर्फ गंदगी नहीं — सड़े हुए सिस्टम की सड़ांध है।

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