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देवरी में धूमधाम से मनाया गया होली, भाई दूज का त्यौहार


सागर/ देवरी कलां। रंगों के त्योहार होली का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है ये ऐसा त्योहार है जब दुश्मन भी सभी गले शिकवे भूलाकर गले लग जाते हैं। मध्यप्रदेश सहित देश के तमाम राज्यों में होली का त्योहार बेहद धूमधाम से मनाया गया।हिंदू धर्म में केवल दिवाली के बाद ही भाई दूज का त्योहार नहीं आता, बल्कि होली के अगले दिन भी भाई दूज मनाया जाता है जिसे होली भाई दूज कहते हैं। होली भाई दूज होली के अगले दिन चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन पड़ता है और इस साल 9 मार्च को होली भाई दूज बडे ही उल्लास से मनाया गया। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं और भाई को तिलक लगाती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भाई को बहन के घर भोजन करना चाहिए।
 होली भाई दूज का महत्व:-
जिस तरह दिवाली के दूसरे दिन मनाए जाने वाले भाई दूज के त्योहार में बहनें भाई की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं, उसी प्रकार होली के दूसरे दिन होली भाई दूज पर भी बहनें भाई को तिलक लगाकर यह त्योहार मनाती हैं. शास्त्रों की मानें तो होली के अगले दिन जब बहनें भाई को तिलक लगाती हैं तो भाई को सभी तरह के संकट से मुक्ति मिल जाती है और उसके जीवन में सुख समृद्धि आती है.
 भगवान चित्रगुप्त की होती है पूजा
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को होली भाई दूज का त्योहार के दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने का विधान है। महिलाओं द्वारा भगवान चित्रगुप्त की पूजा कर  बहन अपने भाई को सूत बांधती है इसके बाद बहन भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं। जहां भाई बहन की रक्षा का वचन देता है वहीं बहन भाई को तिलक करती है।

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