पवई ।
कायस्थ समाज के लोगों द्वारा अपने आराध्य देव भगवान चित्रगुप्त महाराज जी की पूजा अर्चना विधि विधान वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच कलम,दावत,काफी, पेन पुस्तक की पूजा बड़ी श्रद्धा भाव के साथ यह धार्मिक आयोजन सेवानिवृत्त शिक्षक किशोर प्रसाद खरे के निज निवास पर आयोजित की गई इस दौरान कायस्थ समाज के लोगों ने भगवान वित्रगुप्त के छायाचित्र पर दीप प्रज्वलित पुष्प अर्जित कर नमन किया कायस्थ समाज के लोगों ने सामूहिक भक्ति भाव परंपरा अनुरूप अपने आराध्य देव पाप पुण्य का लेखा-जोखा रखने वाले चित्रगुप्त महाराज जी का बड़ी श्रद्धा एवं हर्षोल्लास के साथ पूजन किया गया इस कार्यक्रम में कायस्थों समाज के लोगों ने विधिवत ढंग से कलम दवात की पूजा कर प्रगति पथ पर आगे बढ़ने के साथ भगवान चित्रगुप्त महाराज जी से कृपा दृष्टि करने की प्रार्थना के साथ साथ खुशहाली एवं सुख समृद्धि का आशीर्वाद मांगा वही संसार के लेखा-जोखा रखने वाले श्री चित्रगुप्त महाराज जी का पूजन अर्चन हवन बड़े भक्ति भाव से कायस्थ समाज के लोगों द्वारा संपन्न हुआ बिहार की धरती पर जन्म लेने वाले प्राणियों के पाप पुण्य का लेखा-जोखा रखने वाले भगवान श्री चित्रगुप्त महाराज जी का मंत्रोच्चारण के साथ कागज कलम का पूजन किया गया एवं श्री चित्रगुप्त महाराज के बारे में कथा वाचन के पश्चात कायस्थ समाज के लोगों द्वारा बताया गया कि ब्रह्मा जी की काया से उत्पन्न हुए थे और श्री चित्रगुप्त महाराज जी के संबंध में इतिहासकार हमें बताते हैं कि ब्रह्मा जी की उत्पति होने की वजह से श्री चित्रगुप्त को कायस्थ कहा जाता है वही उन्होंने बताया प्राणी समूह के शरीर में गुप्त भाव से व्याप्त होकर शुभ या अशुभ कार्यों का निरीक्षण करते हैं एवं पाप व पुण्य का लेखा-जोखा के आधार पर उनका न्याय करते हैं कायस्थों की उत्पत्ति के संबंध में उन्होंने बताया कि ब्रह्मा सृष्टि के निर्माण के बाद 11 हजार वर्षों तक समाधि में लीन रहे एवं भगवान चित्रगुप्त महाराज की कलम के अधिष्ठाता देव है और कायस्थ ही नहीं पठन पठान व लेखन से जुड़े सभी लोग उनकी अत्यंत श्रद्धा एवं विश्वास करते हैं कलम के देवता के रूप में प्रसिद्ध अक्षर जीवी,लेखक,कुला श्रेष्ठ लेखकों को अक्षय प्रदान करने वाले महालेखाकार आदि विशेषणों से अलंकृत है उन्होंने कहा चित्र देव की उत्पत्ति कथा का विस्तार से वर्णन पद्म पुराण के सृष्टि खंड में मिलता है उन्होंने बताया ब्रह्मा के आशीर्वाद से चित्रगुप्त को याद करने से भी भीष्म पितामह को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी इस दौरान उनकी काया से वर्ण,कमल, नयन चार भुजा धारी एक हाथ में असी दूसरे हाथ में कलम दंड तीसरे हाथ में लेखनी एवं चौथे हाथ में दावात धारण किए पुरुष को ब्रह्मा ने वित्रगुप्त का नाम दिया था एवं उन्हें धर्मराज पुरी में जीवों के शुभ अशुभ कार्यों का लेखा जोखा रखने के लिए जिम्मेदारी दी थी उन्होंने बताया कायस्थ जाति नहीं बल्कि एक संस्कृति है जो सभ्य समाज का निर्माण करने में अपना योगदान देती है उन्होंने बताया चित्रगुप्त किसी समाज के वंशज नहीं है पूर्वज व पूर्वजों के वंशज हैं पुराणों के अनुसार चित्रगुप्त यम देवता के अधीनस्थ देव है यूं हमारे कर्मों के समक्ष चित्र अंकित होते रहते हैं इस अवसर पर बड़ी संख्या में उपस्थित कायस्थजनों ने मिलकर अपने आराध्य देव भगवान श्री चित्रगुप्त महाराज जी का वंदन आरती गायन किया गया इस मौके पर बड़ी संख्या में कायस्थ परिवार एकत्रित हुए
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