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वन विभाग में एक ही बाबू का चलता है सिक्का


बाबू ने अपने हस्ताक्षर से जारी कर दी एन ओ सी 

 वरिष्ठ अधिकारियों ने नहीं की कोई कार्यवाही

कायवाही के नाम पर लीपापोती
टीकमगढ़:- प्रधान मुख्य वनसंरक्षक एवं वन बल प्रमुख ( शाखा - प्रशासन ll) भोपाल के पत्र क्रमांक 708 , भोपाल दिनांक 14/05/12 में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वनमण्डल अधिकारी स्तर से नीचे का कोई भी अधिकारी अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी नहीं कर सकता, इसके बाद भी वनमण्डलाधिकारी की जगह 2 लाख रुपए लेकर अपने हस्ताक्षर कर वनमण्डल कार्यालय के कनिष्ठ लिपिक ( सहायक ग्रेड -3 ) जिनके पास मुख्य लिपिक, मानचित्र ,स्थापना,सहित 5 महत्वपूर्ण और मलाईदार शाखाओं का प्रभार है। के द्वारा उत्तमपुरा खदान के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी कर दिया । जबकि वनमण्डल टीकमगढ़ और निवाड़ी में मिलकर 2 उप वनमण्डल अधिकारी एवं 6 रेंज अधिकारी उपस्थित हैं, जो कि राजपत्रित अधिकारी हैं। यदि कोई ऐसी विषम परिस्थिति आ भी जाए जब वनमण्डल अधिकारी उपस्थित ना हो , और अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करना अनिवार्य हो, तब उप वनमण्डल अधिकारियों द्वारा भी अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करना, एक बार संभव हो सकता था। परन्तु वनमण्डल कार्यालय में पदस्थ प्रभारी मुख्य लिपिक जो अपनी  राजनैतिक पकड़, वरिष्ठ अधिकारियों से सांठ गांठ और पैसों के दम पर इतने घमंड में आ चुके हैं, की अपने आप को राजशाही समय का राजा समझने लगे हैं। इनके विरुद्ध पहले भी कई शिकायतें हुई, और कई शिकायतें में दोषी भी पाए गए, लेकिन अपनी राजनैतिक पकड़, वरिष्ठ अधिकारियों से सांठगांठ और पैसों के लेनदेन के चलते सारी शिकायतों को दबा देते हैं, जिससे इनके हौसले इतने बुलंद हो गए कि अब ये वनमण्डल अधिकारी की जगह , वरिष्ठ कार्यालय के आदेशों को धता बताते हुए, अपने हस्ताक्षर से अनापत्ति प्रमाणपत्र भी जारी करने लगे।
विभागीय सूत्रों द्वारा बताया गया कि प्रभारी मुख्य लिपिक के द्वारा पूर्व में भी वरिष्ठ अधिकारियों को गुमराह करते हुए, या अपने रुतबे के कारण उन पर दबाव बनाकर बांध सुजारा, सागर बाईपास सहित अन्य कई जगह के लिए इसी गलत तरीके से अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करवाए जा चुके हैं। इनकी  कुछ मामलों में जांच भी हुई, और दोषी पाए गए, परन्तु कोई कार्यवाही करने की हिम्मत वरिष्ठ अधिकारी नहीं दिखा पाए। इससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि या तो वरिष्ठ अधिकारी लेनदेन करके इनकी शिकायतों को दबा लेते हैं, या इनकी राजनैतिक पकड़ के चलते  ,डर के कारण कोई वैधानिक कार्यवाही नहीं करते हैं। पूरे वनमण्डल के आधे कार्यालयीन एवं मैदानी कर्मचारी भी इनके डर के कारण , कुछ भी खुलकर बोलने से डरते हैं। और ज्यादातर कर्मचारी इनकी कार्यप्रणाली से रूष्ट बने हुए हैं।
अभी वर्तमान में वनमण्डल टीकमगढ़ अंतर्गत ,रेंज टीकमगढ़ के उत्तमपुरा गांव में एक मुरम की खदान हेतु , अंशुल खरे तनय अरुण खरे द्वारा आवेदन प्रस्तुत किया गया, जिसकी जांच उपवनमंडल अधिकारी निवाड़ी द्वारा की गई थी, जिनकी जांच के आधार पर वनमण्डल अधिकारी को अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करना था। परन्तु अपने आप को वनमण्डल अधिकारी से भी ऊपर समझने वाले सहायक ग्रेड 3 , नरेंद्र सिंह गौर ने वरिष्ठ अधिकारी से हस्ताक्षर करवाने के बजाय खुद ही वनमण्डल अधिकारी की मुहर के साथ अपने हस्ताक्षर कर, अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी कर दिया। 
जिसकी शिकायत सामाजिक कार्यकर्ता अमित गोस्वामी द्वारा महामहिम राज्यपाल महोदय, माननीय मुख्यमंत्री , प्रधान मुख्य वनसंरक्षक एवं वन बल प्रमुख , सतर्कता एवं शिकायत, लोकायुक्त भोपाल सहित वन विभाग के कई अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत की, परन्तु 15 दिन बीत जाने के बाद भी कोई कार्यवाही होती हुई नजर नहीं आ रही है। जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि या तो वरिष्ठ अधिकारियों के पास शिकायत को दबाने हेतु सुविधा शुल्क पहुंच जाता है, या इनके राजनैतिक संबंधों से वरिष्ठ अधिकारी डर के कारण कोई कार्यवाही नहीं करते हैं।
शिकायतकर्ता द्वारा बताया गया कि पूर्व में भी कई बार मेरे एवं अन्य व्यक्तियों द्वारा विभाग के वरिष्ठ कार्यालयों में स्वयं उपस्थित होकर शिकायत दर्ज करवाई गई, परन्तु आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई, परन्तु इस बार महामहिम राज्यपाल , माननीय मुख्यमंत्री एवं वन मंत्री ,प्रमुख सचिव वन एवं  अन्य कार्यालयों में शिकायत की गई, जिससे कार्यवाही की उम्मीद है। वनमण्डल अधिकारी के समक्ष सी एम हेल्पलाइन के द्वारा भी अनापत्ति प्रमाणपत्र की शिकायत की गई थी, जो एल 3 तक पहुंच गई, परन्तु वनमण्डल अधिकारी भी कार्यवाही करते हुए नजर नहीं आ रहे ।
आम जनमानस में चर्चा का विषय बना हुआ है कि वरिष्ठ अधिकारियों की  ऐसी क्या मजबूरी है, जो नरेंद्र सिंह गौर पर इतने मेहरबान बने हुए हैं। इसके अलावा नरेंद्र सिंह गौर अपने नियुक्ति दिनांक से लगभग 23 - 24 वर्षों से एक ही कार्यालय में पदस्थ हैं, इनके द्वारा पूरा वनमण्डल अपने इशारों पर चलाया जाता है, वर्तमान वनमण्डल अधिकारी के पहले तक के लगभग सभी वनमण्डल अधिकारी इनके हिसाब से ही कार्य करते हुए नजर आते थे। नरेंद्र गौर को इतने महत्वपूर्ण और मलाईदार पदों का प्रभारी बनाया गया है, जबकि वनमण्डल में कुछ अन्य कर्मचारी भी हैं ,जो इनसे योग्य और वरिष्ठ हैं, फिर भी वरिष्ठ को छोड़कर , कनिष्ठ को प्रभार दिया जाना समझ से परे है।  यदि इस प्रकार एक व्यक्ति की तानाशाही चलेगी तो लोकतंत्र और विभाग के अधिकारियों की जरूरत ही क्या है ? सभी विभागों में भी ऐसे ही बाहुबली कर्मचारियों को विभागों की कमान सौंप दी जानी चाहिए।
शिकायतकर्ता एवं विभाग के कर्मचारियों ने नाम ना बताने की शर्त पर बताया कि नरेंद्र सिंह गौर को किसी भी शाखा का काम नहीं आता है, स्थापना शाखा का काम , एक रिटायर्ड कर्मचारी सफ़ी मुहम्मद से बिना किसी आदेश या पत्राचार के, मानचित्र शाखा का कार्य जतारा में पदस्थ एक वनपाल से बिना किसी आदेश के करवाया जा रहा है। जबकि उनकी ड्यूटी जंगलों की सुरक्षा में होना चाहिए थी। शिकायतकर्ता ने बताया कि मेरे द्वारा मांग की गई है कि इनकी यथाशीघ्र , उच्च स्तरीय जांच दल जिसमें सीसीएफ या वनमण्डल स्तर के अधिकारी हों, के द्वारा करवाई जाए। एवं जांच होने तक नरेंद्र गौर को अन्यत्र स्थानांतरित किया जाए, जिससे जांच प्रभावित ना हो सके । जांच ना होने पर माननीय उच्च न्यायालय की शरण में जाने हेतु मुझे बाध्य होना पड़ेगा ।।

इनका कहना है ।
मामले की अभी जांच चल रही है, जांच के उपरांत ही कुछ कहा जाएगा।
राजाराम परमार
वनमण्डल अधिकारी टीकमगढ़

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