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गोवर्धन पूजा पर झूम उठा बुंदेलखंड — हुआ पारंपरिक दीवारी गीतों और मुनिया-ग्वाला नृत्य का मनमोहक प्रदर्शन

टीकमगढ़। कार्तिक माह की गोवर्धन पूजा पर बुंदेलखंड के गांवों में परंपरागत मुनिया-ग्वाला नृत्य की धूम रही। ढोलक, मंजीरे और नगाड़ों की ताल पर युवाओ द्वारा टोली बना कर जब लोकगीतों की लय में कदम मिलाए तो पूरा वातावरण लोकसंस्कृति की सुगंध से महक उठा।
यह नृत्य बुंदेलखंड की प्राचीन लोक परंपरा का प्रतीक है, जिसमें ग्वाले (चरवाहे) मुनिया आपसी संवाद और गीतों के माध्यम से प्रेम, हास्य और लोकजीवन की झलक प्रस्तुत करते हैं। गोल घेरे में नाचते हुए नर्तक ढोलक की थाप पर दीवारी गीतों में लोग भगवान कृष्ण की गोवर्धन पूजा और गाय-धन की महिमा का बखान करते हुए भक्ति और उत्सव का समावेश करते हैं।
ग्रामीण इलाकों में इस दिन हर घर और चौपालों पर लोकनृत्य का माहौल देखने  देर रात तक गीत-संगीत का सिलसिला चलता रहता है।
स्थानीय बुजुर्गों का कहना है कि यह परंपरा सदियों पुरानी है, जिसे बुंदेलखंड की आन-बान और लोकगौरव माना जाता है। मुनिया-ग्वाला नृत्य न सिर्फ मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि यह ग्रामीण एकता और लोकसंस्कृति की जीवंत पहचान भी है और आगे कहा की मोनिया को टोली सुबह से ही अपनी भेसभुसा धारण करके  गाँव गाँव शहर शहर नाचते गाते हुए तीर्थ स्थल जैसे कुंडेश्वर ओरछा करीला माता मंदिर जाकर अपना मोन ब्रत पूर्ण कर लेते है उसके पश्चात अपने अपने घर को लोट जाते है

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