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टीकमगढ़ बंडा नहर की खुदाई से पेयजल ठप, खुली नहर से बच्चों-जानवरों को खतरा



स्थानीय लोगों ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
टीकमगढ़। शहर में बंडा नहर की सफाई और अतिक्रमण हटाने के बाद स्थानीय लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। नगर पालिका द्वारा नहर की मरम्मत का काम शुरू न करने से पेयजल आपूर्ति ठप है और खुली नहर से दुर्घटना का खतरा बना हुआ है। सोमवार को मोहल्लेवासियों ने कलेक्टर विवेक श्रोतिय को ज्ञापन सौंपकर जल्द काम शुरू कराने की मांग की।
दरअसल, बारिश के मौसम से पहले जिला प्रशासन ने महेंद्र सागर तालाब से वृंदावन तालाब को जोड़ने वाली बंडा नहर की सफाई कराई थी। इस दौरान अंबेडकर चौराहा से खाड़ी आश्रम तक नहर के ऊपर बने अतिक्रमण को हटाया गया। प्रशासन के सहयोग से अधिकांश लोगों ने स्वयं ही अपने अतिक्रमण हटाए थे। नगर पालिका ने तब नहर का पक्का निर्माण और फुटपाथ बनाने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक यह काम शुरू नहीं हुआ है।
स्थानीय निवासी शांतनु श्रीवास्तव ने बताया कि चार-पांच महीने बीत जाने के बाद भी बंडा नहर खुली पड़ी है। इससे कीचड़, बदबू और मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। छोटे बच्चों और मवेशियों के नहर में गिरने का डर बना रहता है। कभी-कभी जहरीले कीड़े और सांप भी नहर से घरों में घुस आते हैं, जिससे नारकीय जीवन जीने को मजबूर होना पड़ रहा है। 
नहर की खुदाई के कारण पेयजल लाइनें भी क्षतिग्रस्त हो गई हैं, जिससे पिछले पांच महीनों से पीने के पानी का संकट गहरा गया है। ज्ञापन में मांग की गई है कि 15 दिनों के भीतर बंडा नहर का निर्माण कार्य शुरू किया जाए और जब तक पेयजल लाइनें ध्वस्त थीं, उस अवधि का पांच महीने का 'जलकर' माफ किया जाए।
मोहल्लेवासियों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही बंडा नहर की मरम्मत का काम शुरू नहीं हुआ, तो वे आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।

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