झाँसी। पूसा, नई दिल्ली में आज आयोजित ‘राष्ट्रीय कृषि छात्र सम्मेलन’ में माननीय केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय सहित देशभर के कृषि विश्वविद्यालयों से जुड़े छात्र-छात्राओं से वर्चुअल माध्यम से संवाद किया। इस अवसर पर रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी में भी सम्मेलन का सीधा प्रसारण किया गया, इसमें कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह, विश्वविद्यालय के अधिकारी, विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, शोधार्थी और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।
कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि “ केंद्रीय कृषि मंत्री का संदेश कृषि के छात्रों के लिए अत्यंत प्रेरणादायक है। कृषि में नई तकनीक, नवाचार और उद्यमिता अपनाकर हमारे विद्यार्थी न केवल अपनी आजीविका को सशक्त बना सकते हैं, बल्कि ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा भी दे सकते हैं। कृषि क्षेत्र में युवाओं की सक्रिय भागीदारी ही आत्मनिर्भर भारत का मजबूत आधार बनेगी।” उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय लगातार विद्यार्थियों को कृषि उद्यमिता, नवाचार और एग्री-स्टार्टअप की दिशा में प्रेरित कर रहा है, ताकि वे आने वाले समय में रोजगार मांगने वाले नहीं, बल्कि रोजगार देने वाले बनें।
वहीं केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सम्मेलन में कहा कि भारत का भविष्य कृषि में नवाचार, तकनीक, उद्यमिता और स्टार्टअप से जुड़ा है। युवाओं का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा, “कृषि में परिवर्तन लाने की सबसे बड़ी शक्ति हमारे युवा हैं। आप सभी कृषि को केवल रोजगार नहीं, बल्कि उद्यम का माध्यम बनाएं। नवाचार, तकनीक और परिश्रम के बल पर आत्मनिर्भर कृषि भारत का निर्माण करें।”
चौहान ने कहा कि सरकार युवाओं को कृषि स्टार्टअप, ड्रोन तकनीक, जैविक खेती, कृषि प्रोसेसिंग और मूल्य संवर्धन के क्षेत्र में हर संभव सहयोग दे रही है। उन्होंने जोर दिया कि खेती और गांव को साथ मिलकर विकसित करना ही असली देशसेवा है — इससे पलायन रुकेगा और भारत की आत्मनिर्भरता को नई दिशा मिलेगी।
बेहतर कृषि शिक्षा पर विशेष निर्देश
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कृषि शिक्षा से जुड़े कई पद खाली हैं, जिन्हें शीघ्र भरने के निर्देश उन्होंने आईसीएआर के महानिदेशक को दिए हैं। उन्होंने यह भी घोषणा की कि वे सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में खाली पद शीघ्र भरने का अनुरोध करेंगे।
चौहान ने स्पष्ट कहा कि “कृषि के छात्र-छात्राओं के भविष्य से किसी भी कीमत पर खिलवाड़ नहीं होना चाहिए।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में तैयार नई शिक्षा नीति के अनुरूप कृषि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है।
आईसीएआर को दिए विशेष निर्देश
केंद्रीय मंत्री ने आईसीएआर को निर्देश दिए कि कृषि विद्यार्थियों की एक टीम बनाकर उनसे रचनात्मक सुझाव लिए जाएं। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की ग्रेडिंग प्रणाली लागू कर स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया जाएगा। “दुनिया में हो रहे बेहतर प्रयोगों का अध्ययन करें और उन्हें भारत की कृषि में लागू करें,” उन्होंने कहा।
छात्रों के संवाद से बढ़ा उत्साह
आईसीएआर के कृषि शिक्षा प्रभाग और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में कृषि छात्रों ने अपने अनुभव साझा किए और केंद्रीय मंत्री से सीधा संवाद किया। विद्यार्थियों ने कृषि क्षेत्र में आ रहे बदलावों और तकनीकी प्रगति पर अपने विचार रखे।
श्री चौहान ने सभी छात्रों की बातों को गंभीरता से सुना और समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा, “कृषि के छात्र साधारण जीवन नहीं जिएं, बल्कि एक उद्देश्यपूर्ण जीवन जीएं — वही जीवन सार्थक है जो दूसरों के जीवन को दिशा देता है।”
महानिदेशक आईसीएआर का वक्तव्य
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक *डॉ. एम.एल. जाट* ने कहा कि “कृषि में करियर बनाना वास्तव में देश की सेवा है, क्योंकि कृषि से ही देश का भविष्य जुड़ा हुआ है।” उन्होंने बताया कि यह पहला अवसर है जब केंद्रीय कृषि मंत्री ने सीधे कृषि विद्यार्थियों से संवाद किया है।
कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने विद्यार्थियों को देश को दलहन और तिलहन में आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प दोहराने को कहा। उन्होंने कहा कि “खेती को हम उत्तम व्यवसाय बनाएं, यही विकसित भारत का मार्ग है।”
कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह बोले – “कृषि नवाचार और युवाओं की भागीदारी से ही बनेगा आत्मनिर्भर भारत”
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